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भगवान शिव ऐसा अद्भुत मंदिर, दिन में एक बार देता है दिखाई ! फिर हो जाता है समुद्र में गायब..

Jan 10 2019

Posted By:  Sandeep

भारत एक ऐसा देश है जहाँ हर जाति और धर्म के लोग रहते है | लेकिन भारत को हिन्दुओ का गढ़ कहा जाता है | यहाँ अनेक भगवान शिव के मंदिर है | जो पूरी दुनिया में बहुत ही मशहूर है | आज हम आपको भगवान शिव के उस चमत्कारी मंदिर के बारे में बतायेंगे, जो समय-समय पर गायब होता रहता है | इस चमत्कारी मंदिर के बारे में जो भी व्यक्ति सुनता है वह इसे देखने के लिए दूर-दूर से चला आता है | आपको भी यदि मौका मिले इस मंदिर को देखने का, तो उस मौके ना गवाये | क्योंकि इसे देखने के लिए भारत में विदेशो से भारी संख्या में पर्यटक आते है और इस मंदिर को देखकर इसका दीदार करते है | आइये जानते है इस मंदिर के बारे में | 


भगवान शिव का ये प्राचीन मंदिर गुजरात के बड़ोदरा से कुछ दूरी पर जंबूसर तहसील के कावी कंबोई गांव में स्थित है | इस मंदिर को स्तंभेश्वर महादेव के मंदिर के नाम से भी जाना जाता है | समुन्द्र किनारे मौजूद होने के कारण समुन्द्र से उठने वाले ज्वार-भाटा के कारण ये मंदिर दिन में कई बार इस ज्वार में समा जाता है | जिस वजह से ये लोगो की नजरो से ओझल हो जाता है | समुद्र का ज्वार कम होने पर भगवान शिव का ये मंदिर एक अलग ही रूप में नजर आता है जो काफी मनोरम होता है | लोगो की आँखों से ओझल होने के कारण इस मदिर को गायब मदिर भी कहाँ जाता है | 

आश्चर्य से भरपूर इस मंदिर को देखने के लिए सैकड़ो-हजारो की तादाद में लोग रोजाना आते है | इस मंदिर में प्रत्येक महीने की अमावस्या और शिवरात्री को भव्य मेले का आयोजन होता है | जिसे देखने के लिए दुनिया के कोने-कोने से लाखो लोग आते है | ये मंदिर जितना अदभुत है | उतनी ही अदभुत इस मंदिर की उत्पति की कहानी बताई जाती है | इस मंदिर का इतिहास त्रेतायुग से भी पहले का बताया जाता है |



इस मंदिर का वर्णन स्कंदपुराण में मिलता है | इसके अनुसार तड़ासुर नाम का एक राक्षस भगवान शिव का बड़ा भक्त था | उसने शक्तियां पाने के लिए शिवजी की घोर तपस्या की | भगवान शिव ने उसकी इसी भक्ति से प्रसन्न होकर वरदान दे दिया | उसे वरदान मिला की ऐसा तीनो लोको में कोई भी नहीं होगा | जो उसे हरा सके | शिव के दिए वरदान के अनुसार तड़ासुर को केवल शिव के पुत्र ही मार सकते थे | यह वरदान पाकर तड़ासुर निर्भय हो गया | क्योंकि उस समय भगवान शिव के किसी पुत्र का जन्म नहीं हुआ था | इस वरदान के बाद तड़ासुर ने अपनी शक्तियो से देवलोक में आहाकार मचा दिया | 

उसने अपनी शक्ति से देवलोक, पाताललोक, पृथ्वीलोक तीनो को जीत लिया | इसके बाद तड़ासुर के अंत के लिए भगवान शिव के पुत्र कार्तिके का जन्म हुआ | कार्तिके और तड़ासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ | लेकिन तड़ासुर के अंत के बाद शिव पुत्र कार्तिके को काफी दुःख हुआ | क्योकी तड़ासुर भगवान शिव का सच्चा भक्त था | इसलिए कार्तिके भगवान विष्णु के पास गये | तब भगवान विष्णु के कहने पर सभी देवताओ ने विष्णुनंदन स्तम्ब की स्थापना की | 


यह स्थापना उसी जगह की गयी थी | जिस जगह तड़ासुर का अंत हुआ था | इस स्तम्भ में भगवान शिव आकर विराजमान हुए | तब से ये महातीर्थ लोगो की आस्था का केंद्र बन गया | इसे देखने के लिए प्रतिवर्ष लाखो लोग आते है | प्राकृतिक मनोहर दृश्यों से परिपूर्ण यह मंदिर भगवान शिव के सबसे खूबसूरत मंदिरो में से एक है |
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